IAS टॉपर सैय्यद रियाज अहमद की सफलता की कहानी: ऐसा कहा जाता है कि आदमी को जीवन में कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और हमेशा उस वक्त तक प्रयास करना चाहिए जब तक आप सफल ना हों। आज हम आपको नागपुर, महाराष्ट्र के सैय्यद रियाज अहमद की कहानी बताने जा रहे हैं जो युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं। बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए आपकी पढ़ाई में बहुत बेहतरीन होना आवश्यक है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है। सैय्यद रियाज अहमद पढ़ाई में एक एवरेज स्टूडेंट्स रहे और उन्होंने इस कठिन परीक्षा को अपने और पिता के सपनों को पूरा किया। सैय्यद ने दिल्ली नॉलेज ट्रैक के साथ अपनी यूपीएससी जर्नी की कुछ बातें शेयर की हैं।
माँ-बाप नहीं थे
सैय्यद रियाज अहमद के माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे, बावजूद इसके कि वे अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाई करने पर जोर देते थे। इसी तरह सैय्यद के आसपास के भाई-बहनों ने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। सैय्यद ने ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन किया। वह हमेशा एक एवरेज छात्र रहा।
देखें सैय्यद रियाज अहमद द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिया गया इंटरव्यू था
टीचर ने पिता से कहा था कि आपका बेटा जीआरओ है
सैय्यद रियाज अहमद हमेशा एक एवरेज छात्र रहे। इतना ही नहीं वह एक बार 12 वीं कक्षा की परीक्षा में फेल हो गए थे। इसके बाद उनके टीचर ने उनके पिता से कहा था कि आपका बेटा जीरो है और ये जीवन में कुछ नहीं कर सकता। सैय्यद को यह बात काफी बुरी लगी। उनके अब्बू ने टीचर को जवाब दिया कि वह एक दिन जरूर कुछ बड़ा करेगा।
बार-बार असफलता पर नहीं मानी हार
सैय्यद ने वर्ष 2013 यूपीएससी की तैयारी आरंभ की। वर्ष 2014 में उन्होंने पहला अटेम्पट दिया। इसके बाद वह दिल्ली आ गई और जामिया में दाखिला ले लिया। फिर उन्होंने दूसरा अटेम्पट दिया और फिर भी प्री नहीं क्लियर हुआ। इस बार कारण बना रहा ज्यादा सवाल कर देना जिससे निगेटिव मार्किंग हो गया। हालांकि तीसरे अटेम्पट में सैय्यद पूर्व और मेन्स पास कर चुके हैं लेकिन इंटरव्यू में बने रहे। सैय्यद ने हार नहीं मानी और चौथा अटेम्पट दिया। इसमें मेन्स नहीं क्लियर हुआ। ये वो वक्त था जब उन्होंने यह क्षेत्र छोड़ने का फैसला लगभग कर लिया था। लेकिन उनके पिता ने उन्हें निर्दिष्ट किया और वह रुक गए। आखिरकार वर्ष 2017 में उन्होंने परीक्षा के तीनों चरण पास किए और आईएएस पद के लिए सेलेक्ट हो गए।